Railwire WiFi, अगर आपने ट्रेन की यात्रा करी है तो भारत के लगभग सभी स्टेशनों पर मिलने वाले फ्री railwire wifi इंटरनेट का लाभ जरूर लिया होगा, इसके लिए बस सिंपल से कुछ स्टेप्स को फॉलो करके फ़ोन या डिवाइस को कनेक्ट करने होता है जिसके बाद इंटरनेट को बड़ी आसानी से एक्सेस कर सकते हैं, स्टेशन पर मिलने वाले इस wifi को आप जब तक स्टेशन पर है उतने समय तक जितना चाहें use कर सकते हैं, इसके लिए कोई भी paise नहीं देने पड़ते हैं।
Railwire WiFi, रेलवे स्टेशन पर फ्री WiFi हमें कैसे मिलता है?-
इस prashan का उत्तर जानने के लिए नीचे इन कई steps को समझना होगा जिसके बारे में हम आगे बात करने जा रहे हैं-
इंटरनेट Internet-
आसान शब्दो में इसे कहें तो किसी भी सर्वर पर मौजूद वह डाटा जिसे उस पर्टिकुलर सर्वर से हमारे फोन तक पहुंचने में जिस किसी भी माध्यम या रास्ता का प्रयोग किया जाता है, इन्टरनेट कहलाता है।
अगर मैं यह सवाल करूं कि आपके घर तक किसी डिवाइस में आने वाला इंटरनेट कहां से और किस माध्यम से आता है तो आप में से अधिकतर लोगों का यह जवाब होगा कि, सेटेलाइट के द्वारा।
तो दोस्तों मैं आपको यह बता दूं कि यह जवाब एकदम सही नहीं है, दरअसल हम जो भी इंटरनेट यूज करते हैं उसमें से 99.9% इंटरनेट ऑप्टिक फाइबर केबल(optic fiber cable) के द्वारा हमारे घर के पास मौजूद टावर तक आता है, यही ऑप्टिकल फाइबर केबल हमारे कंप्यूटर, स्मार्टफोन और सर्वर के बीच कनेक्शन को बनाता है, जिससे डेटा एक छोर से दुसरे छोर(end) पर जाता है, और हम इसको यूज़ कर पाते है।
हमारी earth पर पर बहुत सारा केबल का जाल बिछा है, जो कि बहुत बड़ी-बड़ी compnies के द्वारा सभी देशों से लेकर गांवों तक फैले हुए है, जिसके कारण कहीं से भी इंटरनेट एक्सेस कर पाते है।
इन cable को लगाने का काम जो भी कंपनियां करती है उन्हें उनके काम के अनुसार कई भागों में बांटा गया है।
1. टियर वन कंपनी Tear 1 Compnie-
एक देश से दूसरे देश को जोड़ने के लिए sea की कि गहराई में cable का जाल बिछाया गया है जिसे सबमरीन केबल करते हैं, इस केबल को बिछाने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों ने इसमें काफी सारा पैसा लगाया है यह सबमरीन केबल समुद्र के किनारे बसे बड़े शहरों तक पहुंचती हैं जो कि एक देश से दूसरे देश को जोड़ती हैं।
india की बात करे समुद्र में इन केबल का कनेक्शन मुम्बई, चेन्नई और अन्य बड़े शहरों तक दुसरे देशों से पहुँचता है।
इस लिस्ट में टाटा कम्युनिकेशन, रिलायंस जियो(asia-africa-europe), verizon जैसी बड़ी कंपनियां आती है।
पूरी दुनिया में सबमरीन केबल्स लगाने वाली tear one companies के बारे में पूरी जानकारी पाने के लिए इस वेबसाइट पर जाकर देख सकते है, कि कौन सा देश किस देश से जुड़ा हुआ है, क्लिक करें Click Here-
submarine cable map
2. टियर टू कंपनी Tear 2 Compnie-
दूसरे देश से हमारे desh के अंदर आए इस cable के नेटवर्क को इसके आगे सभी राज्यों, जिलों, तहसील, कस्बों और गांवों में पहुंचाया जाता है, जिसको पहुंचाने वाली कंपनी को Tear Two Compnie कंपनी का जाता है, इस लिस्ट में रिलायंस जिओ, BSNL, AIRTEL, VODAFONE, TELENOR, और अन्य सभी नेटवर्क प्रोवाइडर का नाम आता है, ये सभी tear two कंपनी सबमरीन केबल को ऑप्टिक केबल से जोड़कर पूरे भारत के कोने-कोने में पहुंचाती है, इसके आगे भी tear 3 कैटगरी में बहुत सारी कंपनी आती है जो कि tear2 से कनेक्ट होकर इन्टरनेट प्रोवाइड कराती है, tear 3 में tikona, hathway जैसी कंपनी आती है।
क्या internet के यूज़ करने में paise लगते है? इसका answer है नहीं, क्योंकि इन सभी cable को केवल एक बार लगाने का खर्च आता है इसके बाद इसके मेंटनेंस में खर्च आता है, जिसके बाद कंपनी बिजनेस करती है इससे पैसे कमाती है और इस केबल को मेंटेन करके रखती है जिसके लिए हम सभी यूजर से चार्ज लिया जाता है और यही पैसा बंटते हुए tear3, tear2 से होकर tear1 कंपनी के पास पहुँच जाता है।
इन्टरनेट डाटा ट्रांसफर internet data transfar-
इसको कुछ इस तरह समझ सकते हैं कि जब भी आप अपने फोन को charge में लगाते हैं तो करेंट(electricity) के रूप में डाटा चार्जर से निकलकर वायर से होते हुए फोन में पहुंचता है फोन को बार-बार चार्ज करने के लिए हमें एक बार ही केबल खरीदने की जरूरत पड़ती है, उसके बाद जब चाहें फोन को चार्ज कर सकते हैं।
इसी तरह जब हम एक computer को दूसरे computer के साथ cable से जोड़ते हैं तो दोनों कंप्यूटर के बीच किसी फाइल को शेयर करने के लिए कोई पैसे नहीं लगते बस एक click से फाइल एक कंप्यूटर से निकलकर केबल से होते हुए दूसरे कंप्यूटर में पहुंच जाती है।
internet भी कुछ इसी तरह से चलता है जिसमें दो कंप्यूटर, सर्वर और यूजर के बीच, हजारों किलोमीटर दूरी है फिर भी जो भी सर्च करते हैं वह डाटा किसी न किसी सुपर कंप्यूटर(server) पर मौजूद होता है जिसे सर्वर(server) कहते है और वहां से हमारे घर में रखे कंप्यूटर या स्मार्टफोन पर आता है।
सर्वर से हमारे फोन तक data जिस सबमरीन केबल और ऑप्टिक फाइबर केबल(optic fiber cable) से होकर आता है वही ऑप्टिक केबल ही इंटरनेट है, और इस वायर से होकर डाटा के आने-जाने में पैसे नहीं लगते, क्योंकि इसको लगाने(setup) में और मेंटेनेंस में काफी खर्च आता है इसके लिए यूजर से इसको यूज़ करने पर प्रति जीबी के हिसाब से पैसे चार्ज किया जाता है।
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भारतीय रेलवे शुरुआत में इंटरनेट के लिए BSNL के ऊपर निर्भर था, बाद में सेफ्टी, कंट्रोल और एडमिनिस्ट्रेटिव कम्युनिकेशन को पढ़ाने के लिए रेलवे ने सन2000 में RailTel नाम की एक गवर्नमेंट PSU कंपनी की शुरुआत की।
जिसके के द्वारा पूरे भारत में सभी स्टेशनों तक हाई स्पीड ऑप्टिक फाइबर बिछाया गया जो कि 45000 किलोमीटर लंबा और 5000 रेलवे स्टेशन से कनेक्ट है जिससे सभी स्टेशन फ्री हाई स्पीड internet यूज कर सकते थे लेकिन wifi की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, बाद में से गवरमेन्ट ने आम पब्लिक को wifi के माध्यम से देने की शुरुआत की।
क्योंकि रेलवे के पास खुद का tear2 नेटवर्क है, इसलिए केवल बाकी के खर्च में केवल tear1 कंपनी को पैसे देने थे, इसके लिए रेलवे ने गूगल के साथ टाइअप किया और गूगल ने सिक्योर railwire wifi हॉटस्पॉट का निर्माण किया और यह ध्यान में रखा गया कि स्टेशन के बाहर मौजूद व्यक्ति इसका यूज़ न कर पाए।
1 Comments
Nice content , thanks a lot
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